जीवन

संयम नहीं तो संबल कहाँ से पायेगा;

कैसे जीवन दुश्वारियों से पार पायेगा;

पग पग पर परीक्षाओं का घेरा पड़ा है,

कैसे जीव दो पल सुकून से बैठ पायेगा ?

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हरदम बातें रूहानी हो यह संभव तो नहीं;

हर एक आशाएँ पूरी हो यह संभव तो नहीं;

रहा हैं निराशा से अछूता यहाँ! कोई ? इस 

अग्नि-लीक से बचा हो यह संभव तो नहीं!

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